भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्य – Learn The Secret Of Shiva Attire
Learn The Secret Of Shiva Attire – भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्य गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की भगवान शिव को शक्ति का भंडार कहा जाता है। इसी कारण उन्हें महान देवी-देवताओं में से एक माना जाता है। इसी कारण संसार में सदियों से उनकी पूजा की जा रही है। सावन माह तो पूरा भगवान शिव को ही समर्पित है। इस पूरे माह में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जीवनदान देने वाले भगवान शिव को लेकर काफी कहानियां प्रचलित है। ऐसे ही शिवपुराण में उनके रूप को लेकर कई कहानियां है। शिव जी का रूप देखें तो उन्होंने गले में सांप, जटाओं में गंगा, माथे में चंद्रमा, हाथों में त्रिशूल, डमरू लिए हुए नजर आते हैं। आपको बता हैं कि भगवान शिव के हर एक वस्तु किसी न किसी का प्रतीकात्मक स्वरूप मानी जाती है। आइए जानते हैं भगवान शिव के इस श्रृंगार के पीछे की कहानी।
भोलेनाथ के माथे में चंद्रमा का होना
पौराणिक कथा के अनुसार, Learn The Secret Of Shiva Attire – भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्यजब देवताओं और राक्षस के बीच समुद्र मंथन हुआ था,गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की तो उसमें कामधेनु गाय, मां लक्ष्मी के साथ-साथ हलाहल विष भी निकला था, जिससे पूरी सृष्टि को बचाने के लिए स्वयं भगवान शिव ने इसका पान कर लिया था। लेकिन विष का प्रभाव इतना ज्यादा था कि उनका शरीर तपने लगा था। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की ऐसे में शरीर से विष के प्रभाव कम करने के लिए शिवजी से चंद्रमा ने प्रार्थना की वह उन्हें माथे पर धारण कर लें जिससे शरीर को शीतलता प्रदान हो। ऐसा करने से शरीर में विष का प्रभाव कम हो गया। तब से चंद्र देव शिव जी के माथे में विराजमान है और पूरे संसार को शीतलता प्रदान करते हैं।
शिव जी की जटाओं में गंगा होने का कारण
शिव पुराण के अनुसार, भागीरथ ने मां गंगा को पृथ्वी को लाने के लिए कठोर तपस्या की, जिससे वह अपने पूर्वजों को मोक्ष दिला सके। उनकी तपस्या से मां गंगा प्रसन्न हो गई।Learn The Secret Of Shiva Attire – भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्य लेकिन उन्होंने भागीरथ से कहा कि मेरा वेग पृथ्वी नहीं सह पाएगी और वह पूरी धरती जलमय हो जाएगी। ऐसे में भागीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां गंगा को अपनी जटा में धारण किया और सिर्फ एक जटा ही खोली जिससे कि पृथ्वी में मां गंगा अवतरित हो सके।
शिव जी के गले में सर्प होने का कारण
Learn The Secret Of Shiva Attire – भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्य भगवान शिव के गले में सर्प भी है। माना जाता है कि उनके गले में साधारण सर्प नहीं बल्कि वासुकी सर्प है। समुद्र मंथन के दौरान रस्सी के बजाय मेरु पर्वत के चारों ओर रस्सी के रूप में वासुकी सर्प का इस्तेमाल किया। एक तरफ देवता थे और दूसरी तरफ राक्षस थे। इससे वासुकी का पूरा शरीर लहूलुहान हो गया। ये देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हो गए हैं उन्हें आभूषण के रूप में गले में धारण कर लिया था
शिव जी के हाथों में त्रिशूल
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव जब प्रकट हुए थे तब उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इन्हीं तीनों गुणों से मिलकर त्रिशूल बना था। माना जाता है गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की कि भोलेनाथ का त्रिशूल तीन काल यानी भूतकाल, वर्तमान और भविष्य काल को जोड़कर देखा जाता है। इसी कारण भगवान शिव को त्रिकालदर्शी भी कहा जाता है। Learn The Secret Of Shiva Attire – भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्य
भगवान शिव का डमरू
Learn The Secret Of Shiva Attire – भोलेनाथ के सिर पर कैसे आया चंद्रमा , जटा में गंगा और गले में नाग, जानें शिव श्रृंगार का रहस्य भगवान शिव से सृष्टि के संचार के लिए डमरू धारण किया था। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की पौराणिक कथा के अनुसार, जब मां सरस्वती प्राकट्य हुई थी तब पूरा संसार संगीत हीन था। ऐसे में भोलेनाथ ने नृत्य किया और 14 बार डमरू बजाया। माना जाता है कि डमरू की आवाज से ही धुन और ताल का जन्म हुआ। इसी कारण डमरू को ब्रह्मदेव का स्वरूप कहा जाता है।
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