पारद शिवलिंग
शिव पुराण एवं शिव संहिता के अलावा अथर्ववेद एवं लिंग पुराण में पारद शिवलिंग का जो विवेचन दिया गया है वह संपूर्ण प्राणी जगत के लिए पार ब्रह्म परमेश्वर द्वारा प्रदत्त एक अनमोल वरदान है. इसमें कोई संदेह नहीं कि इसकी विधिवत पूजा एवं उपासना से दैहिक, दैविक एवं भौतिक तीनो कष्टो से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. शिव लिंगो के जो भेद बताये गए है उन सबमें उत्तम एवं प्रशस्त पारद शिवलिंग ही है. इस शिव लिंग की कही भी रख कर पूजा की जा सकती है. पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है। पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया है इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। यदि किसी को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है। पारद शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करने पर धन लाभ होता है।अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है। पारद शिवलिंग की साधना से विवाह बाधा भी दूर होती जिस समय अभिजित मुहूर्त हो, दस संस्कारों से संस्कारित पारद धातु का अंगुष्ठ प्रमाण का शिवलिंग बनवाकर अपने पूजा कक्ष में ईशान्य कोण में स्थापित करें। लिंग का षोडषोपचार पूजन से करने अथवा करवाने के बाद रूद्राक्ष की माला से ऊं पारदेश्वराय नम: इस मंत्र की आवृत्ति एक हजार आठ बार करें। इसके बाद प्रतिदिन शिवलिंग का सावधानीपूर्वक स्त्रान, धूप,दीप, नैवेद्य सहित अर्चना करते हुए एक पुष्प अर्पण करें। उपर्युक्त मंत्र की एक सौ आठ आवृत्ति कम से कम अवश्य करें। ज्योतिष की दृष्टि से कर्क, वृषभ, तुला, मिथुन और कन्या राशि के जातकों को इसकी पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं। सामान्य रूप से इसके पूजन से विद्या,धन, ग्रहदोष निवारण, कार्य में आने वाली बाधाएं और ऊपरी बाधाएं दूर होकर सुख -समृद्धि प्राप्त होती है। यह आराधना एक साल तक निर्बाध रूप से करते रहने पर साक्षात शिव की कृपा होती है।