जानिये शनि जयंती का महत्व ,जन्म कथा , पूजा विधि एवं विशेष उपाय –The significance of Shani Jayanti.
The significance of Shani Jayanti. गुरु माँ नीधि जी श्रीमाली ने बताया है की ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है, इस बार यह शुभ तिथि 19 मई 2023 को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य भगवान और देवी छाया के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। साथ ही यम और यमुना इनके भाई-बहन भी हैं। मान्यता है कि शनि जयंती के दिन न्याय के देवता शनिदेव की विधिवत पूजा अर्चना करना बहुत कल्याणकारी माना जाता है। शनिदेव की कृपा से साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है। इस वर्ष शनि जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है, ऐसे में जिन जातकों पर शनि का प्रकोप चल रहा है, वे इस दिन का फायदा उठाते हुए शनिदेव की विशेष पूजा अर्चना करें। The significance of Shani Jayanti.
शनि जयंती का महत्व
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। वह कर्म फल के दाता हैं अर्थात है, जो मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसको शनिदेव वैसा ही फल देते हैं। शनिदेव का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है और सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह भी हैं। शनिदेव को न्यायधीश भी माना गया है और इनकी संज्ञा अशुभ दृष्टि के कारण पापी ग्रह में की गई है। जो जातक शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित हैं, उनको शनि जयंती के दिन पूजा करने से अच्छा लाभ मिलता है। शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शनि जयंती का दिन बेहद सर्वोत्तम है। शनिदेव के आशीर्वाद से जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है और आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। The significance of Shani Jayanti.
शनि देव के जन्म की कथा
शनि जन्म के संदर्भ में एक पौराणिक कथा बहुत मान्य है जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। कुछ समय बाद उन्हें तीन संतानों के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ रिश्ता निभाने की कोशिश की, लेकिन संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़कर वहां से चली चली गईं। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। The significance of Shani Jayanti.
शनि जयंती पूजा विधि
- शनि जयंति तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- अगर आप घर पर पूजा कर रहे हैं तो साफ कपड़े पहनकर चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- इसके बाद घी या तेल के दीपक जलाएं और शनिदेव की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कराएं, फिर इत्र अर्पित करें।
- इसके बाद कुमकुम, अक्षत, गुलाल, फल, नीले फूल आदि पूजा की चीजें अर्पित करें।
- शनिदेव को तेल से बनी मिठाई या इमरती का भोग लगाएं।
- फिर पंचोपचार और पूजा संपन्न के करने का बाद आरती करें व मंत्र का जप करें और फिर शनि चालीसा का पाठ करें।
- अगर आप पूजा मंदिर में कर रहे हैं तो शनिदेव का पंचामृत के साथ तेल से भी अभिषेक करें। यही चीजें वहां भी अर्पित कर दें।
- इस दिन तिल का तेल, काले तिल, लोहे की वस्तु, काली उड़द दाल आदि शनि से संबंधित चीजें जरूर दान करें।
- शनिदेव की पूजा करने के बाद भगवान शिव और हनुमानजी की भी पूजा करें। The significance of Shani Jayanti.
शनिदेव की पूजा में इस बात का रखें ध्यान
गुरु माँ नीधि जी श्रीमाली के अनुसार शनिदेव की मूर्ति के ठीक सामने ना खड़ें हों और मूर्ति की आंखों में ना देखें। पूजा करते समय आप शनिदेव के चरणों में देखने का विधान है। शनिदेव की दृष्टि अशुभ होने के कारण शनिदेव की आंखों में नहीं देखा जाता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि इस दिन लोहे का सामान, सरसों तेस, काली उड़द, लकड़ी का सामान आदि चीजें ना खरीदें। शनि जयंती के दिन बाल और नाखून भी ना काटें और ना ही किसी जानवर या इंसान को परेशान करें। शनि जयंती के दिन गरीब व जरूरतमंद को अपशब्द ना कहें और ना ही परेशान करें क्योंकि ऐसा करने से शनिदेव नाराज हो जाते हैं। शनिदेव गरीब व जरूरतमंद का प्रतिनिधित्व करते हैं। The significance of Shani Jayanti.
शनि की साढ़ेसाती व् ढैय्या से पीड़ित लोगो के लिए ख़ास मौका
19 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी. साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रकोप झेल रहे लोगों के लिए इसका असर कम करने का अच्छा मौका है. गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया कि कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर ढैय्या एवं मकर, कुंभ व मीन राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव है.
इससे जातक का मन अशांत हो जाता है, तार्किक छमता दब जाती है. लोग सोच-समझ नहीं पाते हैं. गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया कि साढ़ेसाती व ढैय्या के असर को कम करने के लिए अच्छा संयोग बन रहा है. इन पांच राशि वाले जातक शनि जयंती के दिन शनि देव की विशेष पूजा अर्चना कर लाभ ले सकते हैं. तो आइये जानते हैं राशियों पर साढ़ेसाती व ढैय्या के प्रभाव व निवारण के उपाय…
कर्क राशि: इस राशि के जातकों पर ढैय्या का प्रभाव चल रहा है. इससे मन अशांत रहता है. सोचने-समझने की क्षमता कम होती है. जातक तार्किक बात नहीं कर पाते
उपाय: जातक शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा कर तिल के तेल का दीपक जलाएं.
वृश्चिक राशि: इस राशि वालों को ढैय्या ने अपने जाल में उलझा रखा है. इसके प्रभाव से भाई-बहन के रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं. व्यापार मे नुकसान की संभावना है. जातक को तुरंत फैसला लेने से बचना चाहिए.
उपाय: जातक को शनि जयंती के दिन शनि मंदिर में शनि देव की पूजा करनी चाहिए.
मकर राशिः इस राशि वालों पर साढ़ेसाती का असर है. इसके कारण तबीयत खराब रह सकती है. मन अशांत हो सकता है. खर्च ज्यादा होगा.
उपाय: जातक इस दिन शनि देव की पूजा कर शनि स्तोत्र का पाठ करें.
कुम्भ राशिः इस राशि के जातक साढ़ेसाती के प्रभाव के कारण कई तरह की परेशानी झेल रहे हैं. जिंदगी मे भागदौड़ ज्यादा है. बार-बार यात्रा का योग बन रहा है.
उपाय: जातक शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा कर उनके बीज मंत्र का जाप करें.
मीन राशिः इस वालों पर भी साढ़ेसाती का प्रभाव है. इस कारण सेहत खराब हो सकती है. किसी भी तरह के निर्णय से पहले जांच-परख लें. पत्नी से विवाद करने से बचें.
उपाय: जातक शनि जयंती के दिन शनि मंदिर में जाकर शमी की पत्ती शनिदेव को चढ़ायें. The significance of Shani Jayanti.
शनिदेव मंत्र
‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’
‘ॐ प्रां प्रीं प्रौ स: शनैश्चराय नमः
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली द्वारा बताये गए शनि जयंती के कुछ उपाय The significance of Shani Jayanti.
- शनि जयंती पर दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
- माता-पिता की सेवा करें और बड़े बुजुर्गों के साथ गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति का आदर करें और उनकी मदद करें।
- शनिदेव का तेल से अभिषेक करें और तेल का दीपक जलाएं।
- काले चने, काली उड़द दाल, काले तिल आदि शनि से संबंधित चीजों का दान करें।
- शनि जयंती का व्रत करें और शनि चालीसा का पाठ करें।
- शनि जयंती पर पीपल का पेड़ लगाएं।
- शनि जयंती पर शनिदेव के साथ भगवान शिव और हनुमानजी की भी पूजा करें।
- शनि यन्त्र को पूजा घर में स्थापित करे
- इस दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि दोष निवारण पूजा करवाए
- शनिवार रात को अनार की कलम से रक्त चन्दन से किसी भोजपत्र पर ‘ॐ ह्वीं’ मंत्र को लिखें और इसकी नित्य पूजा करें. इससे अपार विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है. The significance of Shani Jayanti.
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