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जानिए चैत्र नवरात्रि 2021 घट स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि
Chaitra Navratri 2021 Muhurat – नमस्कार। आप सभी को 9 संवत्सरी और चैत्र नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं। आज मैं आपको चैत्र नवरात्रों की जानकारी प्रदान करूंगी। घट स्थापना के शुभ मुहूर्त के बारे में बताऊंगी। पूजन विधि आपको नवरात्र के दौरान किस प्रकार करनी चाहिए उसके बारे में संपूर्ण जानकारी दूंगी तो शुरुआत करते हैं चैत्र नवरात्रों की तारीख से। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि पूर्वक पूजा उपासना करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वर्ष भर में चार नवरात्र आते हैं जिसमें दो गुप्त नवरात्र और दो प्रत्यक्ष नवरात्र होते हैं। ये चारों नवरात्र धर्म अर्थ काम और मोक्ष इनके प्रतीक माने गए हैं। वैसे भी नवरात्र में प्रयुक्त नौ शब्द नौ का और रात्रि शब्द रात्रि का प्रतीक है। नवरात्रों का अर्थ नौ अहोरात्र के रूप में भी किया जाता है जो पर्व नौ दिन और नौ रात तक चले वही नवरात्र है। चैत्र नवरात्र और अश्विन मास के नवरात्र ये दोनों मुख्य नवरात्रों में आते हैं। नवरात्रों में पूजा विधि का अपना विशेष महत्व रहता है। इस बार नवरात्रि में पूजन विधि और घटस्थापना का दिन 14 अप्रेल मंगलवार का रहेगा। Chaitra Navratri 2021 Muhurat
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त – Chaitra Navratri 2021 Muhurat
चैत्र नवरात्र आगामी 13 अप्रेल से 21 अप्रेल तक चलने वाले हैं। 13 अप्रेल को घट स्थापना की जाएगी जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजे के 28 मिनट से 10 बजकर 14 मिनट तक का रहेगा।
सांस्कृतिक परंपरा – Chaitra Navratri 2021 Muhurat
नवरात्रि में देवी शक्ति माँ दुर्गा के भक्त उनके नौ रूपों की बड़े विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्र के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। नवरात्रि के दौरान देशभर में कई शक्ति पीठों पर मेले लगते हैं। इसके अलावा मंदिरों में जागरण और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां बनाई जाती हैं।
चैत्र नवरात्री 2021 पूजन विधि –
नवरात्रि का प्रारंभ शुभ मुहूर्त में घट स्थापना से होता है। घट स्थापना के लिए मिट्टी या धातु के कलश में जल या गंगाजल भरे कलश के मुंह पर श्रीफल को लाल वस्त्र से लपेट कर अशोक के पत्ते सहित रखें। पूजा स्थल पर मिट्टी में जौ के दाने और जल मिलाकर वेदी का निर्माण करें। वेदी के ऊपर कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। अक्षत फूल अर्पित करें। जो भी व्यक्ति नवरात्रों के दौरान व्रत और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं वे कुल्हड़ में जौ जरूर बोते हैं उन्हें जवाब देना चाहिए और नवरात्रों के दौरान उन चीजों को सींचना चाहिए। मां भगवती तथा श्री राम और हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर या तस्वीर को घर के पास यानि कलश के पास चौकी पर लाल वस्त्र या आसन बिछाकर उसके ऊपर स्थापित करना चाहिए। तस्वीर या मूर्ति को जल से स्नान करें। चंदन रोली तिलक अक्षत धूप दीप ये सभी इनके सामने प्रज्वलित करें। देवी उपासक लाल या सफेद रंग के गर्म आसन का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि नवरात्र के दौरान लाल आसन का प्रयोग माता देवी को मां दुर्गा को अति प्रिय है। पूर्वी मुखी बैठकर पूजा मंत्र जप हवन और अनुष्ठान को संपन्न करें। नवरात्रि में मां देवी की साधना हेतु अर्गला कवच कीलक और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। श्रीराम उपासक राम रक्षा स्त्रोत या सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं। मंत्र जप संख्या के दशांश के हवन आहुति चौकोर हवन कुंड में अग्नि के ऊपर अर्पण करके करनी चाहिए। ये नवरात्रि के अंतिम दिन में किया जाना चाहिए नवरात्र के अंतिम दिन यानी नवमी के दिन आपको हवन करके मां दुर्गा को प्रशाद चढ़ाना चाहिए प्रशाद में हलवा मां को अतिप्रिय है। इसके हलवे का भोग मां को जरूर लगाएं। सो प्रत्येक परिवार में कोई देवी की मान्यता होती है। अतः आपकी कुंडली यानि उक्त मान्यतानुसार ही अपनी कुलदेवी की विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए। नवरात्र के दौरान विशेष पूजा अष्टमी और नवमी के दिन दो से दस वर्ष की कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन अवश्य करें। भोजन कराएं और यथाशक्ति दक्षिणा जरूर दें। नवरात्रि के नौ में दिन को यानि रामनवमी के दिन पूजा हवन विधि पूर्वक करने के बाद समस्त पूजन सामग्री को किसी पवित्र जलाशय में विसर्जित करना चाहिए।
चैत्र नवरात्री के दिन कुछ विशेष सावधानियाँ –
अब कुछ सावधानियां भी आपको इस दौरान यानि नवरात्रि के दौरान मां के पूजन में रखनी चाहिए। यदि एक ही घर में तीन शक्ति की पूजा बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए। देवी पीठ पर वाद्य शहनाई आदि का वादन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। दुर्गा से। दूर्वा से भगवती का पूजन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। देवी को केवल लाल कनेर सुगंधित पुष्प ही प्रिय है इसलिए उनकी आराधना में इन्हें ही काम में लेना चाहिए। नवरात्रि में कलश स्थापना और अभिषेक केवल दिन में ही होते हैं। मध्य रात्रि में देवी के प्रति किया गया हवन फलदायी रहता है यानि रात्रि में हवन और पूजा और अभिषेक दिन में होना चाहिए। मां भगवती की प्रतिमा हमेशा लाल वस्त्र से व्यस्थित रहे तथा स्थापना की कभी भी नहीं करें। माता दुर्गा मंत्र साधना में रुद्राक्ष और मूंगा की माला का प्रयोग करें। अर्गला लोहे एवं काष्ठ का होता है। इसे घर के मुख्य द्वार पर ही लगाना चाहिए। दुर्गा सप्तशती के पाठ से पूर्व अर्गला का पाठ अवश्य करें। इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती है और अंतिम सावधानी कीलक को सप्तशती पाठ में उल्लिखित की संख्या दी गई है। इसीलिए कवच अर्गला और कीलक प्राय दुर्गा पाठ के पूर्व ही करना चाहिए तो ये सावधानियां आपको नवरात्र के दौरान आती हैं।
मां के 9 स्वरूपों की होती है पूजा – Chaitra Navratri 2021 Muhurat
शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
Chaitra Navratri 2021 Muhurat नवरात्र का महत्व :-
चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए होती है। वैसे सभी नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना महत्व है।आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता है। प्रकृति मातृशक्ति होती है इसलिए इस दौरान देवी की पूजा होती है। नवरात्र के नौ दिनों में मनुष्य अपनी भौतिक , आध्यात्मिक , यांत्रिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूर्ण करने की कामना से व्रतोपवास रखता है और ईश्वरीय शक्ति इन इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है। इसलिए आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना महत्व है। Chaitra Navratri 2021 Muhurat
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