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जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra

जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra


जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra संतान प्राप्ति के लिए पंचम भाव अधिक आवश्यक माना गाया है। जन्मपत्री  में गहो  कि प्रतिकूल स्थिति संतान के जन्म लेने पर  प्रभाव डालती है।  बाधक ग्रहो कि शांति के लिये कुछ खास उपाय किये जा सकते है।

  पंचम ग्रह में राहु   :-

यदि शादी करते समय पंचम में राहु हो तो संतान में देरी होतीहै। इससे संतान के देरी से होने ,गिर जाने व् नही होने आदि जैसे योग बनते है। अतः पंचम राहु ज्यादातर पहला बच्चा कन्या होती है। और संतान के नही होने का एक कारण सर्प का शाप मन जाता है। इसलिये क्योकि इस जन्म में या अगले जन्म में सांप को या उसके बच्चे को मर देने के कारण देरी होती है। ऐसे में दोष दूर करने के लिए नागदेव कि पूजा करने से पुत्र कि प्राप्ति होती है। 

पंचम ग्रह में केतु    :-   

संतान के भाव में केतु हो तो पुत्र प्राप्ति में बाधा आती है। महर्षि गर्ग ने इसके बारे में कुछ इस तरह कहा है। 
        ‘पुत्रे केतो प्रजाहानी -विधाज्ञानविवर्जित। 
         भयत्रासी सदा दुखी विदेशगमने रतः।।
पंचम भाव में केतु के कारण संतान को हानि होती है। ऎसे में सन्तानेश स्वग्रही हो तो संतान पर सौम्य ग्रह कि दिशा उसकी दशा – अन्तर्दशा में संतान योग बन जाता है। 

पंचम ग्रह में सूर्य :-
                        
 पंचम के सूर्य के फल महर्षियो के अनुसार अच्छे परिणाम नही बताए जाते। 
 ‘अंसुतः धनवर्जित: त्रिकोण।।
जिसकी जन्मपत्री में पंचम में सूर्य हो तो वह पुत्र रहित और धन हिन् रहता है। ऐसा भी देखने में आया है। कि सूर्य के पंचम में होने से पहले पुत्र कि प्राप्ति सम्भव है। जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra

पंचम ग्रह में मंगल :-

पांचवे ग्रह में मंगल होने के अच्छे परिणाम नही बताऐ गये है। ज्योतिष कि प्रमुख पुस्तको के अनुसार :-
‘तनय भवन संस्थे,भूमि पुत्रे
मनुष्यो ब्वति तनय हीनः दुखी।
यदि निज गृह तुगे वर्तते भूमि पुत्रः
क्रशमलयुतगांत्र पुत्रमेके ददाति।।’
यदि संतान के भाव में मंगल हो तो जातक पुत्र हिन् और दुखी रहता है। लेकिन पंचम में मंगल होने पर पुत्र योग बनता है। पर जातक संतान के कारण तनाव में रहता है। जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra

पंचम ग्रह में शनि  :-

शादी के वक्त पंचम भाव में शनि संतान के लिए लाभकारी सिद्ध नही है। पंचम भाव में यदि शनि शत्रु ग्रह में हो तो जातक पुत्र और आर्थिक रूप से दुखी रहता है। यदि शनि अपने मित्र या फिर उच्च स्थान पर हो तभी एक पुत्र कि प्राप्ति सम्भव है। नवांश में उच्च स्थिति पर हो तो संतान कि प्राप्ति सम्भव है। जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra
संतान कब होगी   –

(1) यदि गोचर में गुरु का पंचम स्थान हो यो पुत्र कि प्राप्ति सम्भव है।
(2) जो ग्रह पंचम में स्थित हो तो उसकी दिशा में संतान के योग बनने कि आशा है।
(3) पंचम में स्वामी कि दिशा के होने पर संतान के योग बन जाते है।

संतान गोपाल यंत्र द्वारा संतान प्राप्ति :-

(1) संतान गोपाल यंत्र  स्त्रोतम का पाठ करे।संतान गोपाल यंत्र की साधना अत्यन्त ही प्रसिद्ध है जिन्हें संतान नहीं होती है वे बालगोपाल की मूर्ति के साथ संतान गोपाल यंत्र स्थापित करते हैं तथा उनके सामने संतानगोपाल स्त्रोत का पाठ करते हैं। कुछ लोग ’पुत्रोष्टि यज्ञ’ करते हैं पोत्रोष्टि यज्ञ एवं संतान गोपाल यंत्र के द्वारा संतान की अवश्य ही प्राप्ति होती है।
संतान गोपाल यंत्र को गुरुपुष्य नक्षत्र में पूजन एवं प्रतिष्ठा करने के पश्चात् संतान गोपाल स्त्रोत्र का पाठ करने से शीघ्र ही गृह में अच्छे गुणों से युक्त संतान की उत्पत्ति होती है तथा माता पिता की सेवा में ऐसी संतानें हमेशा तत्पर रहती हैं। संतान गोपाल यंत्र को गोशाला में प्रतिष्ठित करके गोपालकृष्ण का मंत्र का जप श्रद्धापूर्वक करने से वध्या को भी शीघ्र ही पुत्ररत्न उत्पन्न होता है तथा सभी गुणों से सम्पन्न होता है। जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra
शास्त्रों में संतान कामना को पूरा करने हेतु कुछ  उपाय बताए गए हैं, जिनसे बिना किसी ज्यादा परेशानी या आर्थिक बोझ के मनचाही खुशियां मिलती हैं। यह उपाय यह है, कि संतान गोपाल मन्त्र का जप। स्वस्थ्य, सुंदर संतान खासतौर पर पुत्र प्राप्ति के लिए यह मंत्र पति-पत्नी दोनों के द्वारा किया जाना बेहतर नतीजे देता है। संतान गोपाल मंत्र: देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।। संतान गोपाल मंत्र जप की विधि -पति-पत्नी दोनों सुबह किसी विद्वान पंडित द्वारा बताये गए शुभ मुहरत/शुभ दिन स्नान कर पूरी पवित्रता के साथ निराहार रहकर उपरोक्त मंत्र का जप करे। नैवध के रूप में शाम को खीर का भोग  लगाकर उसे ही ग्रहण करे। इसके लिए घर के देवालय में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति की चन्दन, अक्षत, फूल, तुलसी दल और माखन का भोग लगाकर घी के दीप व कपूर से आरती करें।बालगोपाल की मूर्ति विशेष रूप से श्रेष्ठ मानी जाती है।भगवान की पूजा के बाद या आरती के पहले उपरोक्त संतान गोपाल मंत्र का जप करें।मंत्र जप के बाद भगवान से समर्पित भाव से निरोग, दीर्घजीवी, अच्छे चरित्रवाला, सेहतमंद संतान की कामना करें।यह मंत्र/जप पति या पत्नी अकेले भी कर सकते हैं।धार्मिक मान्यताओं में इस मंत्र की 55 माला या यथाशक्ति जप के एक माह में चमत्कारिक फल मिलते हैं। जानिए कौन से ग्रह की वजह से आती है संतान प्राप्ति में बाधा – Santan Gopal yantra

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